Mohenjo daro kis bhasha ka shabd hai | मोहनजोदड़ो किस भाषा का शब्द है?

Mohenjo daro kis bhasha ka shabd hai :- दोस्तों आप लोग जब हमारे इतिहास और सभ्यताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे तो उसमें आपको मोहनजोदड़ो शब्द का उल्लेख अवश्य मिलेगा। मगर क्या आपको मालूम है कि मोहनजोदड़ो किस भाषा का शब्द है और मोहनजोदड़ो क्या है।

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और इसका इतिहास क्या रहा है अगर आपका जवाब ना है तो आप हमारे इस लेख के साथ अंत तक बने रहिए क्योंकि इस लेख में हम मोहनजोदड़ो से जुड़ी हर एक जानकारी को प्राप्त करने वाले हैं तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को बिना देरी किए हुए।


Mohenjo daro kis bhasha ka shabd hai | मोहनजोदड़ो किस भाषा का शब्द है?

 मोहनजोदड़ो आर्यन भाषा का शब्द है और यह संधि के परिपत से उत्पन्न हुवा था। मोहनजोदड़ो बहुत ही ऐतिहासिक शब्द है, और हमारे इतिहास को बारीकी से दर्शाता है। मोहनजोदड़ो का अर्थ हिंदी भाषा में ” मुर्दों का टीला ” होता है।


मोहनजोदड़ो क्या है ? 

मोहनजोदड़ो प्राचीन काल का एक विकसित क्षेत्र या कह सकते हैं बस्ती था जो कि अब पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। सिंधु नदी के तट पर बसे सिंध प्रांत के लरकाना जिले में स्थित मोहनजोदड़ो को हड़प्पा सभ्यता की सबसे बड़ी बस्ती के श्रेणी में रखा गया था।

कुछ इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि मोहनजोदारो प्राचीन काल का सबसे विकसित बस्ती रहा था और इसमें ऐसे ऐसे सबूत मिले थे कि आप भी आश्चर्य चकित हो सकते हैं।

मोहनजोदड़ो का हिस्सा पहले भारत में आया करता था मगर भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के हिसाब से यह क्षेत्र पूरी तरह से पाकिस्तान में चला गया। मोहनजोदड़ो को मृतकों का टीला भी कहा गया है क्योंकि जब इसकी खुदाई हो रही थी तो सबसे ज्यादा इंसान की लाशें यहीं से मिले थे।

कुछ इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि मोहनजोदड़ो के क्षेत्र पर विदेशी लोगों का आक्रमण हुआ था क्योंकि यहां पर मिलने वाले लाश और मानव कंकाल यह सबूत देते हैं।

हालांकि यह पूर्ण रूप से साबित नहीं किया गया है कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि हड़प्पा संस्कृति भूकंप के कारण ध्वस्त हो गई अलग-अलग इतिहासकार अपने हिसाब से इसका अलग-अलग मतलब निकालते हैं लेकिन यह इतिहास में पूर्ण रूप से दर्शाया नहीं गया है। 


मोहनजोदड़ो का इतिहास

दोस्तों हमने ऊपर के टॉपिक में जाना कि मोहनजोदड़ो किस भाषा का शब्द है और मोहनजोदड़ो क्या है, अब हम इस टॉपिक के माध्यम से मोहनजोदड़ो के इतिहास के बारे में जानने वाले हैं तो चलिए शुरू करते हैं इस टॉपिक को बिना देरी किए हुए।

कुछ इतिहासकारों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि आज से लगभग 5000 साल पहले मोहनजोदड़ो स्थित हुआ करता था। मगर आज जिस प्रकार से टेक्नोलॉजी विकसित हुई है ठीक उसी प्रकार की टेक्नोलॉजी 5000 वर्ष पहले ही विकसित हो गई थी।

मोहन जोदड़ो सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे परिपक्व नियोजित और उत्कृष्ट शहर माना जाता था। कुछ आंकड़ों के अनुसार 2600 से 1900 इशा पूर्व मोहनजोदड़ो शहर धनी व्यक्ति और सेठों का गढ़ हुआ करता था यहां पर बहुत बड़े-बड़े विद्वान भी रहा करते थे।

जिस प्रकार का ईट का प्रयोग हम अपने घर बनाने के लिए अभी फिलहाल के समय में करते हैं ठीक उसी प्रकार के इटो का उपयोग मोहनजोदड़ो शहर बनाने के लिए किया गया था। मोहनजोदड़ो में पाए जाने वाले ईटो को सबसे प्राचीन काल का इट भी कहा जाता है। 

वर्ष 1911 में सिंधु नदी के रास्ते एक व्यक्ति जा रहा था जिसका नाम डीआर प्रोफ़ेसर भंडारकर था। उस व्यक्ति की नजर सबसे पहले नदी किनारे स्थित टीलेनुमा जगह पर पड़ी और उस जगह पर उसने अपने नाव को खड़ा किया और वहां पर थोड़े बहुत आगे चलकर गया जब वह आगे गया तो वहां उसको बोध भगवान की मूर्ति दिखाई दी और वहां पर उसे कुछ बौद्धक सिक्के भी मील थे।

प्रोफेसर उन सभी सिक्को और अवशेषों को लेकर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के  तत्कालीन प्रमुख सर जॉन मार्शल के पास पहुंचे। उस समय पर जॉन मार्शल हड़प्पा का दौरा कर रहे थे। प्रोफेसर ने उस टीले पर जो भी चीज देखा था और जिस का निरीक्षण किया था उसकी पुष्टि को उन्होंने जॉन मार्शल को बताया।

इसी तरह से थोड़ा बहुत निरीक्षण मोहनजोदड़ो किला पर चलते रहा फिर वर्ष 1922 में सर राखल दास बनर्जी के निगरानी में उस जगह को आधिकारिक तौर पर खुद आ गया और उसी खुदाई में बड़े-बड़े इमारतों का अवशेष मिला, मिट्टी के बर्तन और धातु की मूर्तियां और कुछ सिक्के और सोने के मोहरे और गहने भी मिलने शुरू हो गए।

इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि उस समय में मोहनजोदड़ो ही एक ऐसा था जगह के लोग धरती को खोदकर कुएं से पानी निकाला करते थे। और विश्व में सर्वप्रथम नाली का अविष्कार यहीं से किया गया है क्योंकि उस समय में भी यहां के लोग नाली बना चुके थे और कुएं से पानी निकालते थे।

कुछ इतिहासकारों का ऐसा भी मानना है कि उस समय में यहां के लोग खेती बाड़ी भी किया करते थे और वह पशुपालन भी करते थे। यह सब तो बारीकी से मालूम चल गया मगर अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि आखिर इतना विकसित राज्य ध्वस्त कैसे हो गया और एकदम से गायब कहां हो गया।


FAQ, s

Q1. मोहनजोदड़ो में क्या क्या मिला है?

Ans. मोहनजोदड़ो जगह के खुदाई में बहुत सारे अवशेष मिले हैं। जैसे कि :- स्तुप, गढ़, स्नानागार, टूटे-फूटे घर, चौड़ी और कम चौड़ी सड़के, गलियाँ, सीने की सुइयाँ, बैलगाड़ियाँ,  छोटी-छोटी नावें, बच्चों के खिलवने, मानव कंकाल और इत्यादि बहुत कुछ।

Q2. मोहन जोदड़ो की स्थानीय नाम क्या है?

Ans. मृतकों का टीला  ही मोहन जोदड़ो की स्थानीय नाम है।

Q3. मोहनजोदड़ो का मतलब क्या होता है?

Ans. मृतकों का टीला ही मोहनजोदड़ो का मतलब होता है क्योंकि यहाँ के खुदाई से बहुत से लाशों के ढेर मिला है। 
Q4. मोहनजोदड़ो में कुएं कितने थे?

Ans. मोहनजोदड़ो के क्षेत्र का खुदाई अभी पूरी तरह से नहीं किया गया है मगर अभी तक के खुदाई में मोहनजोदड़ो का लगभग 600, से 700 कुवा मिला है। (ज्यादा जानने के लिए यहां click करें)

Q5. मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारत कौन सी है?

Ans. अन्नागार ही मोहनजोदड़ों की सबसे बड़ी इमारत है क्योंकि यह बड़ी इमारत खुदाई से सबसे ऊपर आई थी। (ज्यादा जानने के लिए यहां click करें)


( Conclusion, निष्कर्ष )

उम्मीद करता हूं, कि आप को मेरा यह लेख बेहद पसंद आया होगा और आप इस लेख के मदद से  मोहनजोदड़ो किस भाषा का शब्द है , के बारे में जानकारी प्राप्त कर चुके होंगे। हमने इस लेख में सरल से सरल भाषा का उपयोग करके आपको किस मोहनजोदड़ो किस भाषा का शब्द है, से जुड़ी हर एक जानकारी के बारे में बताने की कोशिश की है।

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