हास्य रस की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण | 2024 में Hasya ras ka udaharan

Hasya Ras ki udaharan :- दोस्तों अपने हास्य रस का उल्लेख कहीं ना कहीं अवश्य देखा होगा या हो सकता है कि आपसे किसी परीक्षाओं में हास्य रस से संबंधित कोई सवाल पूछे गए होंगे। मगर क्या आपको मालूम है कि हास्य रस का परिभाषा और उदाहरण क्या होता है अगर आपका जवाब ना है और आप इसके बारे में जानना चाहते हैं।

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तो हमारे इस लेख के साथ अंत तक बने रहे क्योंकि इस लेख में हम हास्य रस से संबंधित सभी सवालों का जवाब स्टेप बाय स्टेप करके लिखा है। तो आप इस लेख को ध्यान से पूरे अंत तक पड़े तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को बिना देरी किए हुए।


हास्य रस किसे कहते है? – [Hasy ras kise kehte hain]

यदि हास्य रस की परिभाषा की बात करें तो किसी की  वेशभूषा , आकृति, क्रियाकलाप और चेष्टा को देख कर मन में जो उल्हास और हर्ष का भाव उत्पन्न होता है उसे ही हास्य कहा जाता हैं। जब यही हास्य हमें  विभाव, संचारी व अनुभाव के माध्यम से मिलता है तो हम उसे हास्य रस कहते हैं।

यदि सरल शब्दों में समझें तो किसी हास्य पूर्ण विशेष क्रिया कलाप, आकृति, वेशभूषा और बातचीत के कारण जब हमारे मन में हंसी या आनंद का भाव उत्पन्न होता है, तो उसे हास्य रस कहते है।


हास्य रस के प्रकार – [hasyaras ke prakar]

  • स्थाई भाव – यह सामान्य हास्य रस होता है।
  • अनुभाव –  इसमें आंखों का मिचमीचाना , आश्रय की मुस्कान और  ठहाकेदार हंसी शामिल है।
  • आलंबन विभाव – इसमें आकार , विकृत वेशभूषा, चेष्ठाए और क्रिया शामिल है।
  • उद्दीपन विभाव – इसमें बातचीत और क्रियाकलाप , अनोखा और विचित्र पहनावा आता है।
  • संचारी भाव –  इसमें कंपन , चपलता , हंसी आलस्य और उत्सुकता आती है।

हास्य रस के उदाहरण – [hasy ras ke udaharan]

अब हम इस लेख में आपको हास्य रस के उदाहरण  के अर्थ के साथ समझाने का प्रयत्न करेंगे:-

उदाहरण – 1

हाथी जैसा देह, गैंडे जैसी चाल।
तरबूजे-सी खोपड़ी, खरबूजे-से गाल।

अर्थ –  इन पंक्तियों में किसी एक व्यक्ति के द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति की शरीरिक बनावट का वर्णन किया गया है और वह उलेख करते हुए कहता है कि आपका शरीर हाथी के समान है। आपकी चाल गैंडे की चाल जैसी है। आपके सिर की बनावट देखने में तरबूज के जैसी लगती है और आपके गाल खरबुज जैसे प्रतीत होते हैं।

उदाहरण – 2

तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप,
साज मिले पंद्रह मिनट घंटा भर आलाप।
घंटा भर आलाप, राग में मारा गोता,
धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता।।

अर्थ – ऊपर लिखी गई पंक्तियों में किसी प्रेम प्रताप नाम के गायक की गायकी का वर्णन करते हुए कहा गया है कि प्रेम प्रताप मंच पर तंबूरा लेकर विराजमान हो गए है।

वह 1 घंटे भर अलाप करते रहे, जिसमें से केवल पंद्रह मिनट ही अलाप के साथ उनके साज मिले है। एक घंटा अलाप गाने के बाद उन्होंने राग गाना जब शुरू किया , तब तक सारे श्रोता गण धीरे-धीरे जा चुके थे।

उदाहरण – 3

सिरा पर गंगा हसै, भुजनि मे भुजंगा हसै।
हास ही को दंगा भयो, नंगा के विवाह में।।

अर्थ इन पंक्तियों में शिवजी के विवाह का दृश्य बताया गया हैं।जब शिव विवाह समारोह में प्रवेश करते है तो उनके वेशभूषा को देखकर वहां मौजूद सभी लोग हंसते हैं। यहां तक कि शिवजी के सर पर जो गंगा जी जी विराजमान रहती है, वह भी हंसने लगती है। 

उदाहरण – 4

पत्नी खटिया पर पड़ी, व्याकुल घर के लोग
व्याकुलता के कारण, समझ न पाए रोग
समझ न पाए रोग, तब एक वैद्य बुलाया
इसको माता निकली है, उसने यह समझाया
कह काका कविराय, सुने मेरे भाग्य विधाता
हमने समझी थी पत्नी, यह तो निकली माता।

अर्थ – इन पंक्तियों में कवि ने हास्य रस प्रयोग किया है, जिसमें वह एक बीमार पत्नी का वर्णन करता है कि पत्नी घर में बिस्तर पर लेटी हुए है और उसे देखकर घर के सभी लोग परेशान हो गए हैं। सबके लिए उसका रोग समझ से बाहर हैं। जब वैद् को बुलाया गया तो उसने वैध ने बताया कि इन्हें माता निकली है। यह सुनकर कवि तंज कसते हुए हास्य रूप मे कहता है कि हे भगवान मैंने तो इसे पत्नी समझा था और परंतु यह तो माता निकली।

उदाहरण – 5

बिना जुर्म के पिटेगा, समझाया था तोय।
पंगा लेकर पुलिस से, साबित बचा न कोय।।

अर्थ – इन पंक्तियों में कवि पुलिस और आम आदमी के बारे में वर्णन करते हुए हास्य रूप से कहता है कि पुलिस से कभी पंगा नहीं लेना चाहिए , वरना बिना किसी जुर्म के या कारण के भी पिट जाते हैं।

उदाहरण – 6

बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय।
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।।

अर्थ – इन पंक्तियों में कवि ने एक गंजे आदमी के बारे में हास्य पूर्ण वर्णन करते हुए कहा है कि गंजे व्यक्ति तो सबसे सुखी रह सकते हैं। इन्हे किसी बुरे समय में रोना नहीं चाहिए, क्योंकि किसी भी प्रकार के हालात हो, पर उसका बाल बांका नहीं कर सकते।

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उदाहरण – 7

बहुए सेवा सास की। करती नहीं खराब।।
पैर दाबने की जगह। गला रही दबाय।।

अर्थ – कवि ने इन पंक्तियों में सास और बहू के बारे में हास्य रस का प्रयोग करते हुए कहा है कि आजकल की बहुए भी सास की सेवा में कोई कमी नहीं रखती। वह पैर तो दबाती ही है साथ मे गला भी दबा देती है।

उदाहरण – 8

नेता को कहता गधा, शरम न तुझको आए।
कहीं गधा इस बात का, बुरा मान न जाए।।

अर्थ – कवि ने इन पंक्तियों में राजनीति पर हास्य पूर्ण पंक्तियां लिखकर उलेख किया है कि तुम नेता को गधा न कहा करो, क्योंकि हो सकता है कि असली गधे को बुरा लग जाए। 

उदाहरण – 9

पिल्ला लीन्ही गोद में मोटर भई सवार।
अली भली घूमन चली किये समाज सुधार।।

उदाहरण -10

बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय।
सौंह करे भौहनि हँसे, देनि कहै नटि जाय।।

उदाहरण – 11

नाना वाहन नाना वेषा।
बिहसे सिव समाज निज देखा।।
कोउ मुख-हीन बिपुल मुख काहू।
बिन पद-कर कोउ बहु पद-बाहु।।

उदाहरण – 12

इस दौड़ धूप में क्या रखा है।
आराम करो आराम करो।
आराम जिंदगी की पूजा है।
इससे ना तपेदिक होती।
आराम शुधा की एक बूंद
तन का दुबलापन खो देती।।

Video के माध्यम से हास्य रस की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण जाने


FAQ, s

Q. हास्य रस के दोहे

Ans. अंधकार में फेंक दी, इच्छा तोड़-मरोड़ निष्कामी काका बने, कामकाज को छोड़। ..

Q. हास्य रस परिभाषा क्या है?

Ans. किसी की  वेशभूषा , क्रियाकलाप, आकृति, और चेष्टा जैसे नजारे को देख कर मन में जो उल्हास और हर्ष का भाव उत्पन्न होता है उसे ही हास्य कहा जाता हैं।
Q. हास रस का उदाहरण क्या है?
Ans.    जेहि दिसि बैठे नारद फूली। 
          सो दिसि तेहि न बिलोकी भूली॥
Q. हास्य रस कितने होते हैं?

Ans. हास्य रस कुल 9 होते है मगर इसका प्रमुख केवल 5 ही प्रकार होता है।

Q. हास्य रस के कवि कौन है?

Ans. हास्य रस के कवि शैल चतुर्वेदी है।


[ अंतिम शब्द ]

दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि आपको मेरा यह लेख बेहद पसंद आया होगा और आप इस लेख के मदद से हास्य रस का परिभाषा उदाहरण सहित जान चुके होंगे और यह भी जान चुके होंगे कि हास्य रस के कितने प्रकार होते है, तो इस लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद !!

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