केतकी का फूल कैसा होता है? | Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai

Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai :- दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम लोग जानेंगे की केतकी का फूल कैसा होता है? और केतकी का फूल कहां पाया जाता है  इसके अलावा इस लेख में हम आपको यह भी बताएंगे कि केतकी का फूल भगवान शिव को क्यों नही चढ़ाना चाहिए? तो यदि आपको नहीं पता है और आप जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक पढ़ें तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को,


केतकी का फूल कैसा होता है? (Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai)

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

केतकी का फूल एक बेहद ही सुगंधित फूल होता है जिसकी रंग सफेद और पीली होती है केतकी का फूल के पत्ते नुकीले चिपके और मुलायम होते हैं इस फूल को केवड़ा का फूल के नाम से भी जाना जाता है इस फूल की पंखुड़ियों की संख्या 5 होती है जैसा कि आप नीचे देख सकते हैं। केतकी का फूल देखने में काफी खूबसूरत और मनोहर दिखता है लेकिन यह फूल एक श्रापित फुल माना जाता है क्योंकि बताया जाता है कि इस फूल को भगवान शिव के द्वारा श्राप मिला हुआ है।


भगवान शिव को क्यों नही चढ़ता केतकी का फूल?

जैसा कि हम सभी लोगों को पता है कि  किसी भी देवी देवता को उनकी प्रिय सामग्री ही अर्पित की जाती है। लेकिन भगवान शिव को काफी तरह-तरह की सामग्री अर्पित की जाती है। जिनमें बेलपत्र, भांग धतूरा, शमीपत्र, कमलगट्टा, शामिल है लेकिन भगवान शिव को कभी भी केतकी का फूल नहीं चढ़ाया जाता है और केतकी का फूल कभी भी भगवान शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए।

इसका कारण शिव पुराण की एक कथा में मिलता है जिसमें बताया गया है कि एक भगवान विष्णु जी और भगवान ब्रह्मा जी इस बात को लेकर झगड़ा शुरू हो गई कि  इन दोनों में सबसे सर्वश्रेष्ठ कौन है  इसी बात को लेकर उन दोनों में विवाद काफी बढ़ने लगा और इसी विवाद को समाप्त करने के लिए सभी देवताओं ने मिलकर एक फैसला किया कि वह भगवान शिव भी जा कर यह रोकवाने की प्रयास करेंगे और इस विवाद को खत्म करवाएंगे।

उसके बाद सभी लोग भगवान शिव भी पहुंचे  जिसके बाद भगवान शिव शंकर ने इस विवाद को खत्म करने का एक उपाय बताएं जो कि यह था कि उन्होंने एक बहुत ही विशाल शिवलिंग निर्मित किया और  उन दोनों से कहा कि आपमें से एक इस शिवलिंग का अंत और एक जन आरम्भ खोजो जो पहले इस शिवलिंग का अंत और एक जन आरम्भ खोजने में सफल होगा वही सर्वश्रेष्ठ कहलाएगा।

उसके बाद भगवान विष्णु जी उस शिवलिंग का अंत खोजने के लिए ऊपर की ओर प्रस्थान कर गये और भगवान ब्रह्मा आरम्भ की खोज में निचे की ओर चल दिए तभी कुछ दुरी पर उन्होंने एक केतकी के फूल को देखा और उन्होंने केतकी के फूल से कहा कि मेरे साथ भगवान शिव के पास चलो और उन्हें कहना कि मैंने इस शिवलिंग का प्रारम्भ ढूँढ लिया है।

तो केतकी के फूल मान गया और वह भगवान शिव के सामने यह बात बोला उसके बाद भगवान शिव नाराज़ हो गये क्योकि वह जानते थे कि इस शिवलिंग का ना त कोई अंत है और ना ही कोई आरम्भ ते यह केतकी के फूल झूठ क्यों बोल रहा है उसके बाद से ही भगवान शिव के द्वारा ब्रह्मा जी और केतकी के फूल को श्राप मिला है “आपकी धरती पर पूजा नहीं की जाएगी” यही कारण है कि भगवान के सबसे पसंदीदा फूल होने के बावजूद भी ketki ka phool भगवान शिव को अर्पित नहीं की जाती हैं।


Also Read :-


केतकी का फूल पेड़ कैसा होता है? (Ketki ka phool ka ped Kaisa Hota Hai)

केतकी का फूल सावन के महीने में आते है यानी पानी बरसा के मौसम में आपको केतकी का फूल फूलाआते हुए दिखाई देगा। यह फूल अधिक सुगंधित होने के कारण इसे दूर से ही पहचान लिया जा सकता है। अगर हम केतकी के पेड़ के बारे में बात करें तो नीचे आप देख सकते हैं कि इस फूल का पेड़ कैसा दिखाई देता है। केतकी का पेड़ लगभग खजूर का पेड़ के जैसा दिखाई पड़ता है।

इसकी पेड़ की लंबाई लगभग मीटर यानि 12 फ़ीट तक हो सकती है। इसकी पत्तियां चमकदार और कांटेदार होती है तथा 40 से 70 सेंटीमीटर तक लंबी होती है  इसका रंग हल्का नीला और हल्का हरा होता है। इसकी पत्तियां नारियल की तर  ऊपर होती है। बताया जाता है कि इस फूल को यमन से भारत लाया गया  इसका मुख्य प्रयोग इत्र बनाने के लिए होता है।


केतकी के फूल को अंग्रेजी में क्या कहते है?

Ketki in English: केतकी के पुष्प को अंग्रेजी भाषा में फ्रेग्रेंट स्क्रूपाइन (Fragrant Screw-pine) के नाम से जाना जाता है और केतकी के पेड़ को अंग्रेजी भाषा में Umbrella Tree और Screw Tree के नाम से जाना जाता है। इसका scientific name यानी वैज्ञानिक नाम पैंडनस ओडोरिफर (Pandanus odorifer) होता है।  और आम भाषा में इस फूल को केवड़ा भी कहा जाता है।


केतकी का फूल कहां पाया जाता है?

केतकी का फूल ऑस्ट्रेलिया, पोलीनीशिया,  साउथ एशिया, फिलीपीन्स, दक्षिण भारत और बर्मा में पाया जाता है। केतकी का फूल बांग्लादेश के सेंट मार्टिन्स आइलैंड पर भी बहुत सारे तदात में पाए जाते हैं लेकिन आज के समय में टूरिज्म के वजह से यह फूल लगभग काफी जगह पर नष्ट हो चुके हैं।


केतकी के फूल के उपयोग

जैसा कि हम लोग शुरू में ही जाने हैं कि केतकी के फूल में काफी सुगंध होता है और यह दूर से ही काफी अधिक सुगंधित महकता है इसीलिए केतकी के फूल से काफी फैंसी परफ्यूम बनाए जाते हैं। और यह फूल देखने में भी काफी ज्यादा खूबसूरत लगता है इसलिए इस फूल से गुलदस्ता भी बनाया जाता है इसके अलावा केतकी के फूल के और कई सारे अन्य उपयोग हैं जैसे इससे बालों का तेल, साबुन, लोशन और सौंदर्य प्रसाधन, भी बनाये जाते हैं।


केतकी का फूल कैसा होता है? (video)

https://www.youtube.com/watch?v=sbYLuVF_NeY

FAQ,s
Q. भगवान शिव को केतकी का फूल क्यों नही चढ़ता है?
Ans :- भगवान शिव को केतकी का फूल  इसलिए नहीं चढ़ता है क्योंकि बताया जाता है कि भगवान शिव के द्वारा केतकी श्राप मिला था जिसके वजह से  इसे भगवान शिव के प्रतिमा पर नहीं चढ़ाया जाता है।
Q. केतकी का पर्यायवाची क्या होता है?
Ans :- केतकी का पर्यायवाची केवड़ा होता है।
Q. केतकी के फूल का दूसरा नाम क्या है?
Ans :- केतकी के फूल का दूसरा नाम केवड़ा है क्योंकि काफी जगह इस केतकी के फूल को केवड़ा फूल के नाम से भी जाना जाता है।
Q. केतकी को हिंदी में क्या बोलते हैं?
Ans :- सफ़ेद रंग वाला केतकी के फूल को हिंदी भाषा में केवड़ा के नाम से जाना जाता है या फूल मुख्य तौर पर दो रंगों में होता है एक पीला और एक सफ़ेद रंग में।
Q. केतकी का फूल कैसा दिखता है?

Ans :- केतकी का फूल अत्यंत ही मनोरम, मुलायम  दिखता है या सफेद और पीला कलर में होता है। केतकी का फूल का तस्वीर आप ऊपर देख सकते हैं।

Q. केतकी के पुष्प को किसने श्राप दिया था?

Ans :- केतकी के पुष्प शंकर जी ने शराब दिया था।  क्योंकि बताया जाता है कि यह फूल ब्रह्मा जी के साथ मिलकर झूठ कहा था। इसी के कारण इस फूल को भगवान शंकर ने श्राप दिया था।


[ conclusion, निष्कर्ष ]

दोस्तों इस लेख में हम लोग जाने हैं कि Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai और यह फूल किस जगह पर पाया जाता है इसके अलावा इस आर्टिकल में हम आपको यह भी बताएं हैं कि केतकी का फूल भगवान शिव को क्यों नही चढ़ाना चाहिए? इसके अलावा इस आर्टिकल में हम लोग केतकी के फूल के उपयोग को भी जाने हैं कि इस फूल को कहां-कहां उपयोग किया जाता है तथा इस फूल से क्या-क्या बनता है। तो इतना सब जानने के बाद चलिए अब इस लेख को यहीं पर समाप्त करते हैं..धन्यवाद


Leave a Comment