Chaturbhuj mandir kis shahar mein sthit hai | चतुर्भुज मंदिर किस शहर में स्थित है ?

Chaturbhuj mandir kis shahar mein sthit hai :- दोस्तों जब आप भारत के प्राचीन और रहस्यमय मंदिरों की खोज करेंगे तो उसमें आपको चतुर्भुज मंदिर का नाम अवश्य सुनने को मिलेगा। बहुत सारे लोग हैं जो जानते ही नहीं है कि चतुर्भुज मंदिर किस शहर में स्थित है और चतुर्भुज मंदिर का निर्माण किसने करवाया था और चतुर्भुज मंदिर की खोज किसने की थी।

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तो आज हम इन्हीं सभी टॉपिक पे बात करने वाले हैं और चतुर्भुज मंदिर से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने वाले हैं तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को बिना देरी किए हुए।


Chaturbhuj mandir kis shahar mein sthit hai |  चतुर्भुज मंदिर किस शहर में स्थित है ?

चतुर्भुज मंदिर ग्वालियर नामक शहर मे स्थित है, ग्वालियर नामक शहर भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। यह अत्यंत पुराना मंदिर है, और इसकी डिजाइन एक चट्टान पर की गई है और उसी चट्टान को काट पीट कर एक मंदिर बनाया गया है जो कि, देखने में काफी आकर्षक और मनभावन लगता है और यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इस चतुर्भुज मंदिर में आपको अंतराल, मंडप,  गर्भ ग्रह, महामंडप, इत्यादि जैसे ढेरो से चीज़ देखने के लिए मिलता है। । 

हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि, एक समय पर यह चतुर्भुज मन्दिर पूरे जगत में शून्य के सबसे पहले ज्ञात शिलालेख के लिए प्रसिद्ध था। यहां पर बहुत सारे लोग भ्रमण करने के लिए आया करते थे।

खैर पहले जितना अब लोग यहां पर भ्रमण करने के लिए नहीं जाते हैं मगर जो भी लोग जाते हैं वह यहां के डिजाइन और कृति कलाओं को देख कर अचंभित हो जाते हैं।


चतुर्भुज मंदिर क्या है | चतुर्भुज मंदिर के बारे में

चतुर्भुज मंदिर एक हिंदू देवता का मंदिर है और यह मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित है, मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और ऐसा माना जाता है कि, इस मंदिर का निर्माण लगभग 9 वीं शताब्दी में किया गया था।

जब आप इतिहास पर एक नजर डालेंगे तो इससे बड़ी बड़ी बातें बाहर आती है, ऐसा माना जाता है कि जीरो का प्रतीक सर्वप्रथम यहीं पर दिखा गया था क्योंकि यहां के शिलालेख पर जीरो का वर्णन किया गया था। 

ग्वालियर किले के तलहटी में मौजूद चतुर्भुज मंदिर किले के पूर्वी प्रवेश द्वार के पास एक चट्टान को तरास कर बनाया गया है। चतुर्भुज मंदिर के अंदर एक विष्णु भगवान की अद्भुत चार भुजाएं वाली प्रतिमा मौजूद है जो देखने मे काफी खूबसूरत लगती है, इस मंदिर का नाम भी विष्णु भगवान की अद्भुत चार भुजाएं वाली प्रतिमा के आधार पर रखा गया था।

यह मंदिर ग्वालियर क़िलाओ के अन्य मंदिर के मुकाबले काफी छोटा है मगर यह अपने कृत कलाओ और डिजाइन के वजह से काफी लोकप्रिय रहा है। यह चतुर्भुज मंदिर 4 खंभों के मदद से खड़ा हुआ है और इस मंदिर के चारों खंभों पर भगवान शिव जी, पार्वती जी, लक्ष्मी जी, गणेश, इत्यादि जैसे 9 से अधिक देवताओं के छवि मौजूद हैं।

मंदिर के अंदर बरामदे के ऊपरी हिस्से में कृष्ण लीलाओं के कई मनमोहक दृश्य मौजूद है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण इस मंदिर का शिलालेख है इसी के वजह से यह इतना प्रचलित है और  ऐसा माना जाता है, कि यह शिलालेख दुनिया को एक नए अक्षर एक और नए संख्या प्रदान करती है।

चतुर्भुज मंदिर के शिलालेख के अनुसार जीरो के एक नही बल्कि दो प्रतीक मौजूद है और कुछ इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि जीरो का सर्वप्रथम वर्णन यहीं पर किया गया था और ऐसा केवल किताबों और इतिहासकारों के कहने पर नहीं माना जाता है बल्कि जीरो का प्रतीक यहां साक्षात देखने को मिलता है।


चतुर्भुज मंदिर का इतिहास

 दोस्तों हमने आपको ऊपर के टॉपिक में बताया कि चतुर्भुज मंदिर किस शहर में स्थित है और हमने आपको यह भी बताया कि चतुर्भुज मंदिर क्या है और उसके बारे में भी थोड़ी बहुत जानकारी दिया। अब हम इस टॉपिक के माध्यम से जानेंगे कि आखिर चतुर्भुज मंदिर का इतिहास क्या रहा है तो चलिए शुरू करते हैं इस टॉपिक को बिना देरी किए हुए।

हमने आपको ऊपर में भी बताया कि चतुर्भुज मंदिर का इतिहास अत्यंत पुराना है, और इस मंदिर के निर्माण के पीछे भी बहुत सारे अलग-अलग कहानियां सुनाई जाती है खैर लोग अपने हिसाब से इसका वर्णन करते हैं।

कुछ इतिहासकारों और शिलालेखों के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस चतुर्भुज मंदिर का खोज अल्ला नामक व्यक्ति ने सन 875 में किया था।  और अल्ला नामक व्यक्ति राजा मिहिर भोज  के शासन के दौरान ग्वालियर किला का संग्रक्षक था। मिहिर भोज राजा गुर्जर प्रतिहार वंश का राजा थे और इनका  राजधानी कन्नौज था।

यहां के शिलालेख में वर्णित सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां पर शून्य का एक ही नही बल्कि दो प्रतीक मौजूद हैं। शिलालेख में फूलों के बगीचों के लिए 270 हस्ता या हाथ जमीन देने का उल्लेख है। इसके अलावा 50 फूलों की माला का दैनीक देने का भी उल्लेख है।

 हो सकता है कि इस शिलालेख में शून्य का वर्णन सर्वप्रथम पहला ना हो क्योंकि इससे पहले भी प्राचीन ग्रंथों में शून्य का उल्लेख किया गया है। लेकिन यहाँ के शिलालेखों को सबसे मजेदार और अनोखा बनाने वाली बात यह है, इस पर जीरो का वर्णित सबसे पुराना साक्ष्य है।

सबसे दिलचस्प बात यह है कि चतुर्भुज मंदिर का शिलालेख सन 1931 तक का सबसे पुराना शून्य का शिलालेख माना जाता था । मगर कंबोडिया में खोज के दौरान शून्य का एक शिलालेख मिला था और उस पर समय सन 638 दर्ज था।  

लेकिन कुछ समय तक खोज हुए उसके बाद पांडुलिपि में एक शिलालेख मिला और उसी को सबसे पुराना शिलालेख माना जाता है। तो दोस्तों कुछ इस प्रकार से ही चतुर्भुज मंदिर का इतिहास रहा है।


FAQ,s

Q1. चतुर्भुज मंदिर की निर्माण कब की गई थी?

Ans. कुछ सूत्रों के आधार पर माना जाता है कि, चतुर्भुज मंदिर की निर्माण 9 वी शताब्दी मे की गई थी।

Q2. चतुर्भुज मंदिर की खोज किसने की थी?

Ans. चतुर्भुज मंदिर के शिलालेख के आधार पर चतुर्भुज मंदिर की खोज अल्ला नामक ब्यक्ति ने की थी।
Q3. चतुर्भुज मंदिर किस शहर में स्थित है?
Ans. चतुर्भुज मंदिर ग्वालियर नामक शहर मे स्थित है।

( अंतिम शब्द )

उम्मीद करता हूं, कि आप को मेरा यह लेख बेहद पसंद आया होगा और आप इस लेख के मदद से चतुर्भुज मंदिर किस शहर में स्थित है, के बारे में जानकारी प्राप्त कर चुके होंगे। हमने इस लेख में सरल से सरल भाषा का उपयोग करके आपको चतुर्भुज मंदिर के बारे में बताया है।

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